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किसान
जिस जमीन पर खड़ा होता है
उसे प्रेम से सींचता है
प्रेम उगाता है
किसान को

सबसे खराब लगता है जमीन का बंजर हो जाना
किसान को सबसे खराब लगता है
अपनी सरजमीं पर खरपतवार का फैलते जाना

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 92