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स्टेचू


गली में
बच्चे खेल रहे थे जब स्टेचू का खेल
दूर कहीं
स्टेचू से खेल रचने की योजना बन रही थी

योजना में खेल था
और खेल से नियोजन था
कि बोलना भर है स्टेचू
ओर स्टेचू हो जाता है हारा हुआ आदमी

अवाम भी हारती है हर बार
किसी को जिता कर
और स्टेचू बनी रहती है शेष समय

जीता हुआ निजाम
स्टेचू स्टेचू खेलता
चाहता है
स्टेचू ही रहे अवाम
स्टेचू बनी रहे
स्टेचू से बौनी रहे
स्टेचू को नियति मान ले
स्टेचू को नियंता मान ले
स्टेचू की स्तूति रट ले

खेल में खेल हुआ महापुरुष

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 83