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कौन लोग थे वे


जब मुल्क में
धर्म प्रयोग हुआ जाने लगा
तब कुछ लोग दिल्‍ली आए

टोपी दाढ़ी पगड़ी वालों को
नर मादा बच्चे बूढ़े
सबको साथ लेकर आये

उन्होंने धर्म का विस्तारित पक्ष रखा
कि धर्म कल्याण के लिए होता है
प्रयोग के लिए नहीं

धर्म
प्रेम के लिए होता है
नफरत के लिए नहीं

धर्म सियासत का पुर्जा नहीं
धर्म सत्ता का टूल नहीं कोई
धर्म मनुष्य में ऊर्जा का स्तूप है

कौन लोग थे वे
जिन्होंने दिल्‍ली आकर
राजा को धर्म का अर्थ समझाया
कि राजा का धर्म

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 74