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मृत्यु की तैयारी पूरी रखो
मैं कब मरूंगा
ठीक से नहीं मालूम
तुम कब मरोगे
नहीं मालूम
संभव है कल मर जायें
हो सकता है आज ही मर जाएं
हो सकता है लिखते लिखते मर जायें अभी
कि यही हो अंतिम कविता
कोन बताये
कौन वजह
कौन धर्म
कौन राजनीत
कौन उत्सव
कब ओर कहाँ
जान माँग ले
जान छीन ले
छीन ले
और मुकर जाए
कत्ल से
सुनो
मृत्यु की तैयारी पूरी रखो
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 66