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लड़की हो तुम


समन्दर में उतरने वाली लड़कियों से कहा गया
समन्दर और बोट जेंडर नहीं जानते
भूल जाना कि तुम लड़कियां हो,
और लडकियों ने समन्दर जीत लिया

दंगल में उतरने वाली लड़कियों से कहा गया
उठा कर फेंक देना लड़को को
लडकों पर हाथ डालते वक्त भूल जाना
कि तुम लड़की हो
लड़कियों ने दंगल जीत लिया

प्रेम में पड़ने वाली लड़कियों से नहीं कहा गया
लड़की होना भूल जांना

गुजश्ता पीढियों ने चीख-चीख कर कहा
सम्भल कर रहो
लड़की हो तुम

लड़की अब बीच रास्ते ठिठक गयी है
पूछ रही है
अगर वह निकल गयी दूर
जीतने
और हार गई दंगल
डूब गई समन्दर
निकल गयी आगे

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 64