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दंगो के बाद

एक जली इमारत
दूसरी को देखती हे
पूछती है
तुम्हें क्यों जलाया
पहली रुआंसी हे
बताती हे
मुल्क गिराने वाले सोचते हैं
कि मुल्क इमारतों से बनता है

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 60