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कोई तो है


कोई तो है
जो रोटी की बात नहीं करने देता
उलझाए रखता है
बेबात की बात में

कोई तो है
जो बरगलाए रखता हे वाद प्रतिवाद में

कोई तो है
जो दबाए रखता हे रोटी के सवाल मंदिर मस्जिद के जज्बात में

कोई तो है
जो रोटी की बात नहीं करने देता
और अपनी रोटियां सेंक जाता है।

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 49