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चोर की धरपकड़ के लिए,
प्राथमिक चिकित्सआलय की दवाई
कहाँ चली जाती है रोज
तुमने कभी कान नहीं धरा

हे मेरे आदर्श नागरिक मित्र
तुम बेशक कोसते रहो सरकार को जी भर
मैं मुल्क की बर्बादी का ठीकरा
तुम्हारे सर फोड़ता हूँ

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 48