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मेरा जौहर
तुम्हारी पवित्रता से है
पवित्रता सिद्ध करो

हीरामणि (तोता) बेचैन है
काल कालांतर उड़ता
चोंच मार-मार पन्ने पलटता है
पोथियों, शब्द कोषों में
जौहर के अर्थ ढूंढ़ता है
अग्नि के स्रोत पढ़ता है

चकमक पत्थर था वह
जिस से अग्नि निकली थी
अग्नि लेकिन पहले से थी सृष्टि में
चकमक पत्थर भी पहले से थे

किसी काल खंड में फिर
चकमक पत्थर पद्मावतियों में बदलते गए
पत्थरों की आग भी उनमें समाहित रही
आग सी जलती पद्मवतियाँ
राजाओं के सीने में आग सी मचलती रहीं

आग को जीतना
राजाओं का जौहर था
आग में राख हो जाना
पद्मवतियों का जौहर

पोथी किताबे पढ़ने के बाद

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 30