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कवि को खत

 

आप केसे हैं
कवि
बहुत दिन हुए आप से मिले
आपकी पहाड़ की यात्रा कैसी रही
कितने दिन ओर रहेंगे उधर
इधर उथल-पुथल का दौर जारी है
जातीय दंगा फिर हो गया है
रोटी का सवाल गायब है फिर से
वाद पर विवाद भारी हैं
ओर विवाद वाद घोषित हुए जा रहे हैं
क्रिकेट और राष्ट्रवाद अपने चरम पर हैं
पांच पैरो वाली गाय फिर बस्ती में आई है
खूब चढ़ावा जा रहा है
महंगाई दर नीचे आ गयी है
प्याज दाल और सब्जियां महँगी हो गयी है पहले से
विकास दर बढ़ने लगी है
नोकरी हट गयी है बेटे की
फसल भी मर गयी है इस बार
सरकार मुआवजा नहीं देगी
कह दिया है उसने
आप तो ठीक से हैं न कवि
भाभी कैसी है
इधर गर्मी बढ़ने लगी है
आप ठण्ड से बच कर रहना

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 28