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रहा होगा ये नियम किन्हीं समयों में
की निषिद्ध हे रात में युद्ध लड़ना
लड़कियों के लिए मगर
हर समय युद्ध हे
हर काल युद्ध है
पल युद्ध है, पहर युद्ध है,
दिन युद्ध है,
और रात बड़ा युद्ध है
बड़े खतरे आसन्न हैं रात की चुप्पी में

युद्ध लड़ रही हैं लड़कियां
बिना गीता के
बिना कृष्ण के
और द्वंद्व हैं कि पस्त किये जाते हैं उन्हें
युद्धों के द्वंद्व से पड़े हैं
स्त्री के द्वंद्व
अर्जुन से बड़े हैं
द्रोपदियों के द्वंद्व
वे पुकारती है कान्हा को
कि स्त्री युद्धों के संदर्भ में भी
कोई तो गीता कही होती
द्रोपदी को ही सुनाते कोई गीता ज्ञान
कि युद्ध लड़ो द्रोपदी
पहचानो स्वजन, परिजन और दुर्जन
तुम देह नहीं हो द्रोपदी

हद है न कान्हा
जिस मुल्क में पग पग बेठे है व्याख्याता

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 23