पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/२२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

युद्ध लड़ रही हैं लड़कियां

कोख में आने से जन्मने तक
जन्मने ने मर जाने तक
युद्ध लड़ रही है लड़कियां


हालांकि वे
नहीं लड़नी चाहती कोई युद्ध
उन्हें नहीं जीतने गढ़
नहीं जीतने निजाम
नहीं ही जीतने इंद्रप्रस्थ
वे नहीं लड़ना चाहती कोई कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र हैं कि थोप दिए गए हैं उनपर
लाद दिये गए हैं
वे बिना गांडीव, बिना रथ, बिना कवच, बिना सारथी
कुरुक्षेत्र में हैं हर समय
बिना किसी लक्ष्य
बिना किसी लोभ
वे युद्धक्षेत्र में हैं
कि सांस ले सकें दो पल
देख सकें आकाश
जी ही सकें
कि कोई जीने दे उन्हे
जीने जैसा
वे निरन्तर लड़ रही हैं
थोपे हुए युद्ध

22 वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ