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ये जल हिन्दू मुस्लिम नहीं है
ये प्रकृति हिन्दू मुस्लिम की नहीं है
ये मुल्क तुम्हारा या उनका नहीं है
उनका है जो पाने से पहले देने की सोच से लैस है
तुम उसका देना पूछ कर उसे शर्मिंदा गत करना

जब कोई तुम्हें सेक्युलर कहे
उससे पूछना
तुम्हें धर्म बचाना है या मनुष्यता
उसे मनुष्यता मत सिखाना
बस
उसके साथ मनुष्य बने रहना
वह सेक्युलर होना समझ जाएगा किसी रोज

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 118