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कार्य्य-कारण की ऐसी विस्तृत शृंखला उपस्थित कर दी गई कि किसी को बीच ही में ठिठकने की आवश्यकता न रह गई। ज्ञान-दृष्टि को बहुत दूर तक बढ़ाने के लिय मार्ग खुल गया। दूरदर्शक सदगदगर, मनविश्लेषक * आदि