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मानते। विकाशवाद के प्रसिद्ध निरूपक हक्सले तक ने कह दिया कि इस प्रकार की उत्पत्ति के प्रमाण नहीं मिलते। पर अधिकांश वैज्ञानिक इस प्रकार की उत्पत्ति मानना अनिवार्य समझते है। वे यह तो मान नहीं सकते कि आदि से ही ऐसे जटिल द्रव्य की योजना चली आ रही है या सजीवता एक अभौतिक तत्व के रूप मे कही से टपक पड़ी है। अभी सन् १९१२ में ब्रिटिश असोसिएशन के सामने शरीरविज्ञान के प्रसिद्ध आचार्य (एडिनबरा के) अध्यापक शेफर ने कहा है----

"सजीव द्रव्य उत्पन्न कर देने की संभावना उतनी दूर नहीं है जितनी साधारणत समझी जाती है। इच्छानुसार सजीव द्रव्य उत्पन्न किया जाने लगे तो भी आकार और व्यापर में परस्पर भिन्न जो इतने असख्य प्रकार के जीव दिखाई पडते हैं विज्ञान के परीक्षालयों में उनके तैयार होने की कोई आशा नहीं की जा सकती। यदि सजीव द्रव्य तैयार किया जा सकेगा, जिसमे मुझको कोई संदेह नहीं है, तो वह सजीव द्रव्य के उबाले हुए अर्क से नहीं। चाहे आज तक काम मे लाई गई युक्तियो और प्रमाणो पर हमे विश्वास न हो पर यह हमे मानना पड़ेगा कि निर्जीव द्रव्य से सजीव द्रव्य तैयार करने की संभावना है।"

निर्जीव द्रव्य से सजीव द्रव्य उत्पन्न होता कही पाया नहीं जाता इसी बात की पुकार सुन कर हैकल को यह मानना पडा है कि निर्जीव द्रव्य से सजीव द्रव्य इस पृथ्वी पर केवल एक बार आरंभ में उत्पन्न हुआ, उसके उपरांत वह वंशवृद्धि