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जरायु आदि मे कुछ विशेषताएँ बतला कर मनुष्य की स्वतंत्र उत्पाते का राग अलापते रहे। पर १८९० मे सेलेनका ने ओरंग नामक बनमानुस के भ्रूण मे भी उन विशेषताओ को स्पष्ट दिखा दिया। फिर तो हक्सले का यह सिद्धांत और भी पुष्ट हो गया कि "मनुष्य और उन्नत बनमानुसो के बीच उतना भेद नही है जितना नराकार बनमानुसो और निम्न श्रेणी के बंदरो के बीच।"

शुद्ध विज्ञान की दृष्टि से जो मनुष्य के गर्भस्फुरण क्रम को देखेगा और उसे दूसरे स्तन्य जीवो के गर्भविधान से मिलावेगा उसे मनुष्य की उत्पत्ति को समझने मे बहुत सहायता मिलेगी।

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