पृष्ठ:विश्व प्रपंच.pdf/१९८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ३५ )


इन्ही सूक्ष्म घटको की क्रियाएँ ठहरती हैं। ब्रुक ने इन घटकों को 'मूलजीव' कहा और बतलाया कि समवाय रूप से ये ही जीवविधान के कारण है। कालिकर ने सिद्ध किया कि जीवधारियो का गर्भाड एक शुद्ध घटक मात्र है।

'घटकात्मक शरीरव्यापार विज्ञान' की पूर्णरूप से प्रतिष्ठा सन् १८८९ मे जरमनी के वरवर्न ( Max Verwarn ) द्वारा हुई। उसने अनेक परीक्षाओ के उपरांत दिखलाया कि मेरा उपस्थित क्रिया हुआ घटकात्मा * संवंधी सिद्धांत एकघटकात्मक अणुजीवो के पर्यालोचन से पूर्ण रूप से प्रतिपादित हो जाता है और इन अणुजीवो के चेतन व्यापारो का मेल जड़सृष्टि की रासायनिक क्रियाओ से मिल जाता है? उसने बतलाया कि मूलर की मिलानवाली प्रणाली तथा घटक की सूक्ष्म आलोचना द्वारा ही हम तत्त्व को यथार्थ रूप मे समझ सकते है।

इस घटकवाद से चिकित्साशास्त्र को भी बहुत लाभ पहुँचा। मूलर के एक दूसरे शिष्य विरशो ( Vnchow ) ने रुग्ण घटको का स्वस्थ घटको से मिलान करके रुग्ण होने पर उनकी दशा के उन सूक्ष्म परिवर्तनो को दिखलाया जो उन विस्तृत परिवर्तनो के मूल स्वरूप होते है जिनसे रोग या मृत्यु होती है। उसने यह सिद्ध कर दिया कि रोग किसी अलौकिक कारण से नही होते बल्कि भौतिक और रासायनिक परिवर्तनो के ही कारण होते हैं।


  • सन् १८६६ में हेकल ने यह सिद्धात उपस्थित किया था।