नए नए उत्पन्न होते और बनते हैं। यह क्रम सदा चलता रहता है।
(५)हमारा सूर्य इन्ही असंख्य नश्वर पिंडो मे से एक है और हमारी पृथ्वी उन और भी अल्पकालस्थायी छोटे छोटे पिडो मे से है जो इन्हें घेरे है।
(६) हमारी पृथ्वी को ठंडा होने मे बहुत काल लगा है तब जा कर उस पर द्रव रूप मे जल ( जीवोत्पत्ति का पहला आधार ) ठहरा है।
(७) एक प्रकार के मूल जीव से क्रमश असख्य ढॉच के जीवो के उत्पन्न होने मे करोडो वर्ष का समय लगा है।
(८) इस जीवोत्पत्ति-परम्परा के पिछले खेवे मे जितने जीव उत्पन्न हुए रीढवाले जंतु, विकास या गुणोत्कर्प द्वारा उन सब से बढ़ गए।
(९) पीछे इन रीढ़वाले जीवो की सब से प्रधान शाखा दूध पिलानेवाले जीव कुछ जलचरो और सरीसृपों से उत्पन्न हुए।
(१०) इन दूध पिलानेवाले जीवो मे सब से उन्नत और पूर्णताप्राप्त किपुरुष शाखा है ( जिसके अंतर्गत मनुष्य, वनमानुस आदि है ) जो लगभग ३० लाख वर्ष के हुए होगे कि कुछ जरायुज जंतुओ से उत्पन्न हुई।
(११) इस किंपुरुष शाखा का सब से नया और पूर्ण कल्ला मनुष्य है--जो कई लाख वर्ष हुए कुछ वनमानुसो से निकला। अस्तु।
(१२) जिसे हम संसार का इतिहास कहते है और जो