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की कुछ स्वर यहूदियों को लगी‌। फिर क्या था, दर्शनविज्ञानविहीन पुराने यहूदियो की एक शाखा को अपने कुलदेवता 'यहोवा' को दूसरी जातियो के देवताओ से बड़ा प्रकट करने की धुन समाई। जैसे लड़के एक दूसरे से अभिमान के साथ कहते हैं कि हमारा खिलौना तुम्हारे खिलौने से अच्छा है वैसे ही अपने देवता को लेकर वे कहने लगे। पहले यह 'यहोवा' साधारण कुलदेवता था जिसे इसराईल के वंशवाले बलि चढ़ाया करते थे। इसकी शक्ति और इसका ज्ञान बहुत परिमित था। जब मिस्रदेश के राजा ने इसराईलवंशवालो को वहुत सताया तब उन्होंने अपने कुलदेवता की दुहाई दी। यहोवा ने कहा 'अच्छा, आज रात को मै मिस्त्रियों का नाश करूँगा। पर एक काम करना, बलिदान करके पहचान के लिए रक्त का छापा अपने अपने दरवाज़ों पर लगा देना, जिसमें उन घरों को मैं बचा जाऊँ"। पीछे मूसा की कृपा से यही 'यहोवा' जमीन ओर आसमान का बनानेवाला खुदा हो गया। मूसाई मते से ही ईसाई मत निकला। यहूदियो और ईसाइयो को इस प्रकार द्वेषवश दूसरी जातियो की निदा करने तथा उन्हे पापी और धर्मविमुख कहने का अवसर मिला। ज्ञान की असस्कृत दशा में मनुष्य ऐसे अवसरो को हाथ से नही जाने देना चाहता। दूसरी जातियो के जो आचार व्यवहार और उपासना-विधान । जैसे, मूर्तिपूजन ) थे आसमानी किताब मे वे पापो की सूची में डाल दिए गए। इस प्रकार अंतःकरण की इन वृत्तियो से प्रेरित होकर एशिया के पच्छिमी कोने पर जिस एकेश्वरवाद की स्थापना हुई उसके कारण बड़े