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कर्मयोग
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वाला प्रेम और सहानुभूति से पूर्ण व्यक्ति ही भले कर्म करता है और इस प्रकार अपना भी भला करता है। अंधविश्वासी असहृदय और मूर्ख होता है ; न वह इस दुनिया को सीधी कर सकता है न स्वयं पवित्र और पूर्ण हो सकता है।

मे फ्लावर (May Flower) जहाज़वाले अपने देशवासियों को ही आप देखिये। आरंभ में वे पवित्र और भले थे परंतु शीघ्र ही वे दूसरों पर अत्याचार करने लगे। मनुष्य-जाति के इतिहास में सर्वत्र यही दशा है। अत्याचार से अपनी जान बचाकर जो भाग खड़े होते हैं, अवसर आते ही वे भी दूसरों पर अत्याचार करने से नहीं चूकते। मैंने दो अद्भुत जहाजों के विषय में पढ़ा है। पहला Noah's Ark (नोआ की नाव) और दूसरा May Flower ( मे फ्लावर )। यहूदियों का कहना है कि नोआ की नाव से ही समग्र सृष्टि हुई है और अमेरिका- निवासी कहते हैं कि आधे से अधिक संसार की उत्पत्ति मे- फ्लावर से हुई है। यह अन्य प्रकार का अंधविश्वास है। सौ. में से नब्बे अंधविश्वासियों का जीवन बुरा होता है उन्हें अजीर्ण या कोई-न-कोई रोग होता है। धीरे-धीरे डाक्टरों को भी इस अन्धविश्वास के रोग का पता लगेगा। मुझे उसका बहुत कुछ अनुभव है,-- ईश्वर रक्षा करे।

मेरे अनुभव का सार यह है कि अंध-सुधारों से हमें दूर रहना चाहिये । क्या तुम कह सकते हो कि सुरा के कट्टर विरोधी उनविचारों को प्यार कर सकते हैं जो सुरापी हो जाते हैं।