सकते हैं। कर्म-फल त्याग दो ; भलाई के लिये भलाई करो; तव पूर्ण अनासक्ति तुम्हें मिलेगी। आत्मा के बन्धन टूट जायेंगे, हमें मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार मुक्ति वास्तव में कर्मयोग का लक्ष्य है।
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