पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/१९३

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हैं। जिसे विवेक है, जिसका मन सदा सत्य के समझने में लगा रहता है, जो शुद्ध है, वही सत्य को पाता है, जिसे पाने पर फिर पुनर्जन्म नहीं होता। हे नचिकेता, यह बहुत कठिन है। राह लंबी है, पहुँचना कठिन है। केवल वही लोग जिनको सूक्ष्म दृष्टि है, इसे देख सकते हैं; वे ही इसे समझ सकते हैं। पर डरो मत। जागो और काम करो। जब तक ठिकाने न पहुँचो, ठहरो मत। क्योंकि ऋषियों ने कहा है कि यह काम बड़ा कठिन है, छुरे की धार पर चलना है। जो इंद्रियों से परे, स्पर्श से परे, रूप-रहित, स्वाद से परे, निर्विकार, नित्य, बुद्धि से परे, नाशरहित है, उसीके जानने से हम मृत्यु के मुख से बच सकते हैं।”

यहाँ तक हमें जान पड़ता है कि यम ने वह उद्दिष्ट स्थान बतलाया है जहाँ सबको पहुँचना है। पहली बात जो हमारी समझ में आती है, यह है कि केवल सत् के जानने से हम जन्म, मरण, क्लेश और नाना प्रकार के दुःखों से जो संसार में हमें होते हैं, बच सकते हैं। पर सत् है क्या? जिसमें कभी विकार न हो―मनुष्य की आत्मा, विश्व में व्यापक आत्मा। फिर यह भी कहा गया है कि उसका जानना कठिन है। जानने का अर्थ केवल समझ में आना नहीं है; जानना कहते हैं साक्षात् करने को। यह बार बार कहा गया है कि यह निर्वाण देखने के लिये है, जानने के लिये है। हम उसे आँखों से नहीं देख सकते, इसके लिये सूक्ष्म दृष्टि होने की आवश्यकता है। यह