५१२ ] -चल्लवग्ग [ २६२।१ "भिक्षुओ ! अब इसके बाद में उपो स थ नहीं कन्गा, प्रा ति मोम का उद्देग (=पाठ) नहीं काँगा। इसके बाद भिक्षुओ! तुम्हीं उपोयथ करना, प्रातिमोक्षका उद्देग करना । भिक्षुओ ! इसके लिये जगह नहीं, यह संभव नहीं कि नथागन अगढ़ पगिगग उगोमथ करें, प्रातिमोक्षका उद्देश करें ! "भिक्षुओ ! दोपयुक्त (भिक्ष ) को प्रातिमोक्ष नहीं सुनना चाहिये, जो मृने उसे दुक्कटका दोष हो। ० अनुमति देता है, जो दोपयुक्त होते प्रातिमोक्ष मुने, उमक प्रातिमोक्षको स्थगित करनेकी। I "और भिक्षुओ! इस प्रकार ग्थगित करना चाहिये । चतुर्दची या पूर्णमानीके जिन उपोमथके दिन वह व्यक्ति दिखाई दे, मंघके बीच कहना चाहिये-'भन्ने ! मंच मेरी मुने उम नामवाला व्यक्ति दोष युक्त है, इसके प्रातिमोक्षको स्थगित करता है। इसकी गन्थिति में प्रातिमोक्षका उद्देश नहीं होना चाहिये।' (ऐसा कहनेपर) प्रातिमोक्ष स्थगित होता है।" 2 ३२-नियम-विरुद्ध और नियमानुसार प्रातिमोक्ष स्थगित करना उस समय पड़ वर्गी य भिक्षु--हमें कोई नहीं जानता- (नोत्र) दोपयुक्त रहने भी प्रातिमोक्ष सुनते थे। दूसरेके चित्तको जाननेवाले स्थविर भिक्षु भिक्षुओंसे कहने थे--'आबनो ! इस इस नामवाले पड्वर्गीय भिक्षु--हमें कोई नहीं जानता--(मोच) दोपयुक्त रहते भी प्रातिमोक्ष सुनते हैं। पड्वर्गीय भिक्षुओंने सुना--दूसरेके चित्तको जाननेवाले स्थविर भिक्षु भिक्षुओंगे कहते है। तब अच्छे भिक्षुओं द्वारा उनके प्रातिमोक्षके स्थगित किये जानेसे पूर्व ही वह शुद्ध दोषरहित भिक्षुओंके प्रातिमोक्षको बिना वात, विना कारण स्थगित करते थे। ० अल्पेच्छ ० भिक्षु ० । ० ।- "भिक्षुओ! शुद्ध, दोष-रहित भिक्षुओंके प्रातिमोक्षको बिना बात बिना कारण न्यगित नहीं करना चाहिये, ० दुक्कट । 3 "भिक्षुओ ! प्रातिमोक्ष स्थगित करना अधार्मिक (=धर्म-विरुद्ध) है, और एक धार्मिक (धर्मानुसार) । ० दो अधार्मिक हैं, दो धार्मिक । ० तीन अ-धार्मिक हैं, तीन धार्मिक । • चार अ- धार्मिक हैं, चार धार्मिक ० । ० पाँच अधार्मिक, पाँच धार्मिक । ० छ अ-धार्मिक हैं, छ धार्मिक । । सात अ-धार्मिक हैं, सात धार्मिक । ० आट अ-धार्मिक हैं, आठ धार्मिक । ० नौ अ-धार्मिक है, नौ धार्मिक ।। दस अ-धार्मिक हैं, दस धार्मिक। 4 (१) नियम-विरुद्ध प्रातिमोक्ष स्थगित करना १--"कौन सा एक प्रातिमोक्ष-स्थगित-करना अधार्मिक है ? --निर्मूलक गोल-भ्रष्टता (का दोप लगा) प्रातिमोक्ष स्थगित करता है। यह एक प्रातिमोक्ष स्थगित करना अ-धार्मिक है। कौन मा एक प्रातिमोक्ष-स्थगित-करना धार्मिक है ? --स-मलक (=कारण होते) गील-भ्रष्टता (का दोग लगा) प्रातिमोक्ष स्थगित करता है। 5 - "कौनसे दो प्रातिमोक्ष स्थगित-करने अ-धार्मिक हैं ?--(१) निर्मूलक शील-भ्रष्टताने । । (२) निमूलक आचार-भ्रप्टतासे० । 6 कौनसे दो ० धार्मिक हैं ?- (१) समूलक शील-भ्रष्टतासे० (२) समूलक आचार- भ्रप्टतासे ०। । 7 ३--"कौनसे तीन ० अ-धार्मिक हैं ? -- (१) निर्मूलक शील-भ्रप्टतासे०। (२) निर्मूलक आचार-भ्रष्टतासे ० । (३) निर्मूलक दृष्टि-भ्रष्टता (अच्छी धारणासे च्युत होने) से० । कौनसे तीन धार्मिक हैं ?--(१) समूल शीलक भ्रष्टतासे०। (२) समूलक आचार-भ्रष्टतासे० । (३) समलक २--
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/५८१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।