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४४० ] - 16 ४-चुल्लवग्ग [ ५ उस समय भिक्षुओ ! एक जुगाली करनेवाला भिक्षु था, वह जुगाली कर करके खाता था। भिक्षु हैरान होते थे---'यह भिक्षु दोपहर बाद (= विकाल) में भोजन करता है !! भगवान्मे यह बात कही- "भिक्षुओ! यह भिक्षु हालहीमें गायकी योनिसे (यहाँ) पैदा हुआ "०अनुमति देता हूँ रोमन्थक (=जुगाली करनेवाले) को जुगाली करनेकी। किन्तु, भिक्षुओ ! मुखके द्वारपर लाकर नहीं खाना चाहिये, जो खाये उसे धर्मानुसार (दंड) करना चाहिये ।"। 197 उस समय एक पू ग (=वनियोंका संघ) ने संघको भोज दिया था। (भिक्षुओंने ) चौकमें बहुत जुठ बिखेर दिया। लोग हैरान० होते थे--कैसे गाक्य-पुत्रीय श्रमण ओदन देनेपर सत्कारपूर्वक नहीं ग्रहण करते ! एक एक कनिका सौ कामोंसे बनता है।' भिक्षुओंने सुना ।०।- "०अनुमति देता हूँ, देते वक्त जो गिरे, उसे स्वयं लेकर खानेकी। भिक्षुओ ! उमे दायकोंने प्रदान किया है।" 198 (५) नख काटना उस समय एक भिक्षु लंबा नख (बढ़ाये) भिक्षाचार करता था। एक स्त्रीने देखकर उस भिक्षुसे यह कहा-- "आओ , भन्ते ! मैथुन सेवन करो।" "नहीं भगिनी! यह (हमारे लिये) विहित नहीं है ।" "भन्ते ! यदि तुम न सेवन करोगे, इसी समय मैं अपने नखोंसे शरीरको नोचकर (तुम्हें) चिल्लाऊँगी-यह भिक्षु मुझे दूपित कर रहा है।" "जैसा समझो भगिनी !" तब वह स्त्री अपने नखोंसे अपने शरीरको नोचकर चिल्लाई—'यह भिक्षु मुझे दूपित कर रहा है।' लोगोंने दौड़कर उस भिक्षुको पकड़ लिया। (तब) उन मनुष्योंने उस स्त्रीके नखों में खून भी, चमड़ा भी लगा देखा। देखकर-इसी स्त्रीका यह कर्म है, भिक्षुने कुछ नहीं किया--(सोच) उस भिक्षुको छोड़ दिया। तव उस भिक्षुने आराममें जा भिक्षुओंसे यह बात कही ।-- "क्या आवुस ! तूने लम्बा नख बढ़ाया है ?" "हाँ, आवुसो !" अल्पेच्छ “भिक्षुओ ! लम्बे नख नहीं धारण करने चाहिये, • दुक्कट ० ।" 199 उस समय भिन् नग्वसे भी नखको काटने थे, मुखसे भी नखको काटते थे, दीवारसे भी नखको घिसने थे-अंगुलियाँ पीड़ा देनी थीं ।- अनुमति देता हूँ, नहनी (= नवच्छेदन) को।" 200 खून सहित नन्वको बाटते थे, अंगुलियों में दर्द होता था-- अनुमति देता हूँ, मामके बगबर तक नम्ब काटनेकी ।" 201 उन समय ५ वी व भिक्षु वीमतिमह कटाते (वीमों नखोंमें लिन्याते) थे। लोग हेगन होते थे-जैन कामभोगी गृहन्थ ।०-- "भिक्षुओ ! बीनतिमह नहीं कटाने चाहिये. ० दुक्कट ० । ० अनुमति देता हूँ, मैल मात्रको निकालने की।" 202 (६) केश काटना उस समय भिक्षुओके केश लम्ब होते थे ।०---- "भिक्षुओ ' क्या भिक्ष एक दूसरे केटायो काट सकते Olo- 14 । o