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. ३७२।४ ] परिवास देने योग्य व्यक्ति [ ३८३ (२) शुद्धान्त परिवास उस समय एक भिक्षुने बहुतसी संघादिसेसकी आपत्तियाँ की थीं । वह आपत्तिके पर्यन्त (=परि- माण, संख्या)को नहीं जानता था, रातके परिमाणको नहीं जानता था । आपत्तिके परिमाणको याद न रखता था, रातके परिमाणको याद न रखता था। आपत्तिके परिमाणमें सन्देह रखता था, रातके परिमाणमें सन्देह रखता था। उसने भिक्षुओंसे कहा- "आवुसो ! मैंने बहुतसी संघादिसेसकी आपत्तियां की हैं। आपत्तिके परिमाणमें सन्देह रखता हूँ, रातके परिमाणमें सन्देह रखता हूँ। मुझे कैसे करना चाहिये ।" भगवान्से यह बात कही।- "तो भिक्षुओ! संघ उस भिक्षुको शुद्धान्त परिवास दे । 39 "और भिक्षुओ! इस प्रकार (शुद्धान्त-परिवास) देना चाहिये । वह भिक्षु संघके पास जा ० ऐसा कहे- मैं संघले उन आपत्तियोंके लिये शुद्धान्त-परिवास माँगता हूँ। दूसरी वार भी ० । तीसरी वार भी० । (तब) चतुर समर्थ भिक्षु संघको सूचित करे--०१ । "ग. धा र णा-'संघने अमुक नामवाले भिक्षुका रन आपत्तियोंके लिये शु द्धान्त - परि वा स दे दिया। संघको पसंद है, इसलिये चुप है-ऐसा मै इसे समझता हूँ।" (३) शुद्धान्त-परिवास देने योग्य "भिक्षुओ! इस प्रकार शुद्धान्त-परिवास देना चाहिये। भिक्षुओ ! किसको शुद्धान्त-परिवास देना चाहिये ?--(१) आपत्तिके परिमाणको नहीं जानता, (जिन रातोंमें उससे आपत्ति हुई उन) रातोंके परिमाण (संख्या) को नहीं जानता । ० नहीं याद रखता ० । आपत्तिके परिमाणमें सन्देह रखता है, रातके परिमाणमें सन्देह रखता है । (ऐसेको) शुद्धान्त-परिवास देना चाहिये । (२) आपत्तिके परिमाणको जानता है, रातके परिमाणको नहीं जानता । आपत्तिके परिमाणको याद रखता है, रातके परिमाणको याद नहीं रखता। आपत्तिके परिमाणमें सन्देह नहीं रखता, रातके परिमाणमें सन्देह रखता है। (ऐलेको) शुद्धान्त-परिवान देना चाहिये । (३) आपत्तिके परिमाणको नहीं जानता, रातोंमें किसी किसीको जानता है किसी किसीको नहीं जानता । ० नहीं याद रखता, ० किसी किसीको नहीं बाद रखता । ० सन्देह रखता है, रातोंमें विसी किसीके बारेमें सन्देह रहित है, किसी किसीमें सन्देह रखता है । ऐमेको मुद्दान्त-परिवान देना चाहिये । (४) आपत्तिके परिमाणको जानता है रातोंमें विनीवो जानता है, किसी किसीको नहीं । ० याद रखता है, किसी किसीको नहीं। ० सन्देह नहीं लता, ० किमी किमीके बारेमें सन्देह रखता है। (ऐमेको) शुद्धान्त-परिवास देना चाहिये। (५) आपत्तियोंमसे किसी किसीको जानता है, किसी किसीको नहीं जानता, रातोंमें किसी किसीको जानता है, किसी किसीवो नहीं। आपत्तियोंमेंमे किनी किमीको याद रखता ० । आपत्तियों से किसी किसीके गर्नमें सन्देह रखता है किनी किसी के बारेमें सन्देह नहीं रखता, रातोंमें किसी किसीके वारेमें सन्देह रखता है, किनी किलीये बारेमें सन्देह नहीं रखता। (ऐसेको) गुद्धाल-परिवास देना चाहिये । भिक्षुओ ! ऐने गुद्धान्त-पग्दिान देना चाहिये।" 40 (४) परिवास देने योग्य व्यक्ति "भिक्षुओ ! कैसे पनि वा स देना चाहिये ?--(१) आपत्तियोंके परिमाणको जानता है, रातके परिमाणको जानता है । ० याद रखता है ००सन्देह-रहित होता है । (२) आपत्तिके परिमाणको नहीं 'देखो चुल्ल ३१. पृष्ठ ३७२-३ ('रातवाला मानत्त्व'की जगह 'शुद्धान्त-परिवास' रूपर)।