प्रकाशकीय निवेदन हिन्दी पाठकोंके सम्मुख आज महावोधि ग्रन्थमालाके तृतीय पुष्पके रूपमें, विनय-पिटकके हिन्दी अनुवादको लेकर उपस्थित होनेमें हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है । अगले सालके लिए दीघ- निकाय'का अनुवाद तैयार हो रहा है । इनके अतिरिक्त हम और भी कितने ही प्रसिद्ध बौद्ध-ग्रन्थोंके हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करना चाहते हैं । हमारे काममें जिस प्रकारसे कितने ही सज्जनोंने आर्थिक सहायता और उत्साह प्रदान किया है उससे हम उत्साहित ज़रूर हुए हैं; किन्तु, इस कामको अच्छी तौरपर सफलताके साथ चलाने के लिये हमें और सहायताकी आवश्यकता है । आप दो प्रकारसे हमारी सहायता कर सकते हैं; (१) एक तो आठ आने भेजकर हमारे स्थायी ग्राहक बन जावें, इससे हमारी उत्साह-वृद्धि भी होगी तथा आपको पुस्तक पौने मूल्यमें मिल जावेगी; (२) हमारे राजा महाराजा और लक्ष्मीपात्र द्रव्यसे हमारी सहायता करें। ग्रन्थमाला के द्वितीय पुप्प मज्झिम-निकाय के प्रकाशित हो चुकने पर, जिन और निम्न- लिखित दानियोंने हमें उसके मुद्रण-व्यय भारको हलका करनेमें सहायता दी है, हम उनके अत्यन्त कृतन है- १--महाराज भूटान ८००) २-श्रीमती ई० हेवावितारने (लंका) ५००) ३-महामान्य सर तेज बहादुर सप्रू (प्रयाग) २५०) ४-डा० कैलाशनाथ काटजू २००) ५.--श्रीमती रूपाशी दाला वरुआ १००) ६-श्री० योगेन्द्रलाल वरुआ १००) ७-श्री० यू० थ्विन् १००) विनय-पिटकके मुद्रणमें भी हमें निम्नलिखित सज्जनोंने द्रव्यकी सहायता दी है- १-सेट युगल किशोर विडला ५००) -श्री० जोजेफ ऐल्स (लंका) १००) -धी० आर० एस० पंडित (प्रयाग) ३०) विनम्र (ब्रह्मचारी) देवप्रिय प्रधान मंत्री, महाबोधि सभा सारनाथ (बनारम)
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