o 1 ९९५।१] दंडोंकी माफी [ ३१५ न करनेके लिये इस भिक्षुका उत्क्षेपणीय कर्म किया है । आओ हम आपत्तिके न प्रतिकारके लिये इसका उत्क्षेपणीय कर्म करें।' वह अधर्म से समग्र हो आपत्तिके प्रतिकार न करनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 161 "(३) धर्मसे वर्ग हो । 162 "(४) ० धर्माभाससे वर्ग हो । 163 "(५) ० धर्माभाससे समग्र हो । ०१ । 164 "(२५) ० धर्मा भा स से वर्ग हो आपत्तिसे प्रतिकार न करनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं।" 184 ग. "(१) भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु बुरी धारणाको छोळना नहीं चाहता। वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवसो! यह भिक्षु बुरी धारणाको नहीं छोळना चाहता। आओ, हम बुरी धारणाके न छोळनेके लिये इसका उत्क्षेपणीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो बुरी धारणाके न छोळनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 185 “(२) वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवुसो ! संघने अधर्मसे वर्ग हो वुरी धारणाके न छोळनेके लिये इस भिक्षुका उत्क्षेपणीय कर्म किया है। आओ, हम इसका बुरी धारणा न छोळनेके लिये उत्क्षेपणीय कर्म करें। वह अ धर्म से स म न हो बुरी धारणा न छोळनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 186 "(३) ० धर्मसे वर्ग हो 0 1 187 "(४) ० धर्माभाससे वर्ग हो "(५) ० धर्माभाससे समग्र हो 0109 1189 "(२५) ० धर्माभाससे वर्ग हो बुरी धारणा न छोळनेके लिए उसका उत्क्षेपणीय कर्म 01188 करते हैं।" 209 ६५-नियम-विरुद्ध दंडकी माफी (१) तर्जनीय कर्मकी माफी - "भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षुका संघने तर्जनीय कर्म किया है, (तव वह) ठीकसे रहता है, लोम गिराता है, निस्तारके लिये काम करता है, (और) तर्जनीय कर्मकी माफ़ी चाहता है। वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवुसो! इस भिक्षुका संघने तर्जनीय कर्म किया है। अब यह ठीकसे रहता है, लोम गिराता है, निस्तारके लिये काम करता है, (और) तर्जनीय कर्मकी माफ़ी चाहता है। आओ, हम इसके तर्जनीय कर्मको माफ़ करें (=हटा लें)।' वह अधर्मसे वर्ग हो उसको तर्जनीय कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 210 २-"वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवुसो ! संघने अधर्मसे वर्ग हो इस भिक्षुके तर्जनीय कर्मको माफ़ किया है। आओ, हम इसके तर्जनीय कर्मको माफ़ करें। वह अधर्म से स म ग्र हो उसके तर्जनीय कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 21I ३-"० धर्मसे वर्ग हो । 212 ४-"० धर्माभासले वर्ग हो । 213 । तर्जनीय कर्मकी तरह यहाँ भी नम्बर पच्चीस (पृष्ठ ३११-१३) तक दुहराना चाहिये ।
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।