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३७३।५ ] संघ-भेद रोकनेके लिये स्थान-त्याग [ १७९ २-"यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाले भिक्षु आवश्यकतानुसार अच्छा या बुरा भोजन पाते हैं किन्तु वह भोजन अनुकूल नहीं है तो इसी विघ्न-बाधाके कारण वहाँसे चल देना चाहिये, वर्षावास टूटनेका डर नहीं । 158 ३-"० भोजन पूरा पाते हैं और वह भोजन अनुकुल भी होता है, किन्तु अनुकूल ओषध नहीं पाते तो इसी विघ्न-बाधा ० । 159 ४-"० अनुकूल ओषध भी पाते हैं लेकिन अनुकूल उप स्था क (= अन्न, भोजन देनेवाला गृहस्थ ) नहीं पाते तो इसी विघ्न-बाधा० ।" 160 (४) व्यक्तिको प्रतिकूलतासे स्थान-त्याग १- "यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाले भिक्षुको स्त्री बुलाती है—'आओ, भन्ते ! तुम्हें हि र ण्य (= अशी) दूंगी, तुम्हें सुवर्ण दूंगी, तुम्हें खेत, मकान, बैल, गाय, दास, दासी, भार्या बनाने- के लिये कन्या दूंगी या मैं तुम्हारी हूँगी या तुम्हारे लिये दूसरी भार्या लाऊँगी, तब यदि भिक्षुके (मनमें) ऐसा हो—'भगवान्ने चित्तको जल्दी बदल जानेवाला कहा है, क्या जानें मेरे ब्रह्म चर्यमें विघ्न हो' तो वहाँसे चल देना चाहिये; वर्षावासके टूटनेका डर नहीं । 16I २-" ० भिक्षुको वेश्या बुलाती है ०१ । 162 भिक्षुको स्थू ल कु मा री (= अधिक अवस्थावाली अविवाहिता स्त्री) बुलाती है ०१ । 163 ४-" ० भिक्षुको पंड क (हिंजळा) बुलाता है ०१ 1 164 ५-" • भिक्षुको जातिवाले बुलाते हैं ०१ । 165 ६—" ० भिक्षुको राजा बुलाते हैं ०° ! 166 ७-" • भिक्षुको चोर बुलाते हैं ० 1167 ८-" ० भिक्षुको बदमाश बुलाते हैं ०१ । 168 ९-" ० यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाला भिक्षु जिसका स्वामी नहीं, ऐसे खज़ानेको देखे । तब भिक्षुको ऐसा हो— 'भगवान्ने चित्तको जल्दी वदल जानेवाला कहा है, क्या जाने मेरे ब्रह्मचर्यमें विघ्न हो ।' तो वहाँसे चल देना चाहिये ; वर्षावासके टूटनेका डर नहीं।” 169 (५) संघ-भेद रोकनेके लिये स्थान-त्याग १-"यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाला भिक्षु बहुतसे भिक्षुओंको संघमें फूट डालनेकी कोशिश करते देखे और वहाँ भिक्षुको ऐमा हो-'संघ में फूट डालनेको भगवान्ने भारी (दोष) कहा है, मेरे सामनेही रांघमें कहीं फूट न पळ जाय;' (यह सोच) वहाँसे चल देना चाहिये । वर्षावास टूटने का डर नहीं । 170 २-"यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करता भिक्षु सुने कि अमुक (भिक्ष-)आवासमें बहुतसे भिक्षु संघमें फूट डालने की कोशिश कर रहे है ° | 171 भिक्षु मुनता है कि अमक (भिभु-)आवासमें बहुतसे भिक्षु संघमें डालनेकी कोशिश कर रहे है, और यदि भिक्षुको ऐसा हो—'यह भिक्षु मेरे मित्र हैं । यदि मैं इनको कहूँ कि आनो ! भगवान्ने घमें फूट डालनेको भारी (अपराध) कहा है, मत आप आयुष्मान् मंघमें ६ ऊपर 'स्त्री' हीकी तरह यहाँ भी पढ़ना चाहिये ।