६. १७८ ] ३-महावग्ग [ ३३३ ३-वर्षावास करने के स्थान (१) विशेष परिस्थितिमें स्थान-त्याग उस समय को स ल देशके एक (भिक्षु)आश्रममें वर्षावास करनेवाले भिक्षुओंको. जंगली जानवरों (व्यालों)ने उत्पीळित किया, पकळा, और मारा भी । भगवान्में यह बात कही।- १--" यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करते भिक्षुओंको जंगली जानवर पीळ्ति करते, पकळने और मारते हैं तो इस विघ्न-बाधाके कारण, वहाँसे चल देना चाहिये । वर्षावास टूटनेका डर नहीं (करना चाहिये) । 146 २–यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करते भिक्षुओंको सरीसृप ( = साँप-विच्छू ) पीळित करें, उसे और मारें तो इस विघ्न-बाधाके कारण, वहाँसे चल देना चाहिये । वर्षावास टूटनेका डर नहीं ( करना चाहिये )। 147 ३-" ० चोर ।" 148 ० पिशाच ० । 149 ५-" यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाले भिक्षुओंका ग्राम आगसे जल जाये और भिक्षुओं को भिक्षाकी तकलीफ़ हो तो इस विघ्न-वाधाके कारण वहाँसे चल देना चाहिये । वर्षावास टूटनेका डर नहीं (करना चाहिये) । 150 " ० भिक्षुओंका आसन और निवास आगसे जल गया हो और भिक्षु आसन और निवासके बिना तकलीफ़ पाते हों ० । ISI ७-" ० भिक्षुओंका गाँव जलसे डूब गया हो और भिक्षुओंको भिक्षाकी तकलीफ़ हो ० । 152 ८-" ० भिक्षुओंका आसन और निवास पानीसे डूब गया हो, और भिक्षु आश्रम और निवासके विना तकलीफ़ पातेहों ० ।" 153 (२) गाँव उजळनेपर गाँववालोंके साथ १--उस समय एक (भिक्षु) आवासमें वर्षावास करते समय भिक्षुओंका गाँव चोरोंने उठा दिया । भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, जहाँ वह गाँव गया वहाँ जानेकी ।" 154 २-० गाँव दो टुकळे हो गया । भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, जिधर अधिक संख्या है, उधर जानेकी।" IS5 ३-अधिक संख्यावाले श्रद्धा-रहित, प्रसन्नता-रहित थे । भगवान्से यह बात कही ।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, जिधर श्रद्धावान् , प्रसन्नतावान् हैं उधर जानेकी ।" 156 (३) स्थानको प्रतिकूलतासे ग्राम-त्याग १-उस समय को स ल देशके एक (भिक्षु-)आवासमें वर्षावास करते भिक्षुओंको नुसार रूखा-अच्छा भोजन भी पूरा नहीं मिला । भगवान्से यह बात कही ।- "भिक्षओ ! यदि वर्षावास करनेवाले भिक्षुओंको आवश्यकतानुसार रूखा-अच्छा भोजन भी पूरा नहीं मिलता तो इसी विघ्न-बाधाके कारण वहाँसे चल देना चाहिये । वर्षावास टूटनेका डर नहीं। 157 ! आवश्यकता.
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