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२-उपोसथ-स्कन्धक १---उपोसथका विधान और प्रातिमोक्षकी आवृत्ति । २--उपोसय-केन्द्रकी सीमा और उपो- सथोंकी संख्या । ३--प्रातिमोक्षकी आवृत्ति और उसके पूर्वके कृत्य । ४--असाधारण अवस्थामें उपोसथ । ५--कुछ भिक्षुओंकी अनुपस्थितिमें किये गये नियम-विरुद्ध उपोसय। ६--उपोसयमें काल, स्थान और व्यक्ति संबंधी नियम । 5 १-प्रातिमोक्षकी आवृत्ति - १-राजगृह (१) उपोसथका विधान उस समय बुद्ध भगवान रा ज गृह के गृध्र कूट पर्वतपर रहते थे। उस समय दुसरे मतबाले (परिव्राजक) चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अप्टमीको इकट्ठा होकर धर्मोपदेश करते थे। उनके पास लोग धर्म सुननेके लिये जाया करते थे, (जिससे कि) वह दूसरे मतवाले परिव्राजकोंके प्रति प्रेम और श्रद्धा करते थे; और दूसरे मतवाले परिव्राजक (अपने लिये) अनुयायी पाते थे। तब मगधराज सेनिय वि म्वि सा र को एकान्तमें विचार करते वक्त चित्तमें ऐसा ख्याल पैदा हुआ-'इस समय दूसरे मत- वाले परिव्राजक चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अष्टमीको इकट्ठा होकर धर्मोपदेश करते हैं। उनके पास लोग धर्म सुनने के लिये जाया करते हैं, (जिससे कि) वह दूसरे मतवाले परिव्राजकोंके प्रति प्रेम और श्रद्धा करते हैं; और दूसरे मतवाले परिव्राजक (अपने लिये) अनुयायी पाते हैं। क्यों न आर्य (=बौद्ध- भिक्षु) लोग भी चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अप्टमीको एकत्रित हों? तब मगधराज सेनिय विम्बि- सार, जहाँ भगवान् थे, वहाँ गया। जाकर · 'अभिवादन कर एक ओर बैठ गया। एक ओर बैठे मगधराज मेनिय बिम्बिसारने भगवान्से यह कहा--"भन्ते ! मुझे एकान्तमें बैठे विचार करते चित्तमें ऐसा ख्याल हुआ--'इस समय दूसरे मतवाले परिव्राजक चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अष्टमीको इकट्ठा होकर धर्मोपदेश करते हैं । उनके पास लोग धर्म सुननेके लिये जाया करते हैं, (जिससे कि) वह दूसरे मत वाले परिव्राजकोंके प्रति प्रेम और श्रद्धा करते हैं और दूसरे मतवाले परिव्राजक (अपने लिये) अनुयायी पाते हैं। क्यों न आर्य (=भिक्षु) लोग भी चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अप्टमीको एकत्रित हो ?' अच्छा हो भन्ते ! आर्य लोग भी चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अप्टमीको इकट्ठा हों।" तब भगवान्ने मगधराज सेनिय विम्बिसारको धार्मिक कथा कह. . .समुत्तेजित, संप्रहर्पित किया। तब मगधराज सेनिय विम्बिसार भगवान्की धार्मिक कथासे समुत्तेजित, संप्रहपित हो आसनने उट भगवान्को अभिवादनकर प्रदक्षिणाकर चला गया। तब भगवान्ने इसी संबंधमें इसी प्रकरणमें धार्मिक कथा कह भिक्षुओंको संबोधित किया- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ चतुर्दशी, पूर्णमासी और पक्षकी अप्टमीको एकत्रित होनेकी ।" १३८ ] [ २९१?