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८२ ] महावग्ग [ १७१७ सब नाशमान् है, यह विरज=विमल धर्मचक्षु उत्पन्न हुआ। इस उपदेशके कहे जानेके समय आयुष्मान् को ण्डि न्य को--"जो कुछ उत्पन्न होनेवाला है वह सब नाशमान् है" यह विरज= निर्मल धर्मका नेत्र उत्पन्न हुआ (इस प्रकार) भगवान्के धर्मके चक्केके घुमाने (=धर्म-चक्रके प्रवर्तन करने) पर भूमिके देवताओंने शब्द किया-"भगवान्ने यह वा रा ण सी के ऋपि प त न म ग दा व में उस अनुपम धर्मके चक्केको घुमाया जोकि किसीभी साधु, ब्राह्मण, देवता, मा र, ब्रह्मा या संसारके किसी व्यक्तिसे रोका नहीं जा सकता।" भूमिके देवताओंके शब्दको सुनकर च तुर्म हा रा जि क देवताओंने शब्द सुनाया-०। च तु म हा रा जि क देवताओंके शब्दको सुनकर व य स्त्रिं श देवताओंने० । ० या म देवताओंने० । ० तु षि त देवताओंने० । ० नि र्मा ण र ति देवताओंने० । ० व श व र्ती देवताओंने०।० ब्रह्म का यि क देवताओंने० । इस प्रकार उसी क्षणमें, उसी मुहूर्तमें यह शब्द ब्रह्मलोक तक पहुंच गया और यह दस हजारों वाला ब्रह्मांड कंपित, सम्प्रकंपित संवेपित हुआ । देवताओंके तेजसे भी बढ़कर वहुत भारी, विशाल प्रकाश लोकमें उत्पन्न हुआ। तब भगवान्ने उदान कहा-“ओहो ! कौंडिन्यने जान लिया (=आज्ञात)। ओहो ! कौंडिन्यने जान लिया।" इसीलिये आयुष्मान् कौंडिन्यका आ ज्ञा त कौं डि न्य नाम पळा। (७) पंच वर्गीयोंकी प्रव्रज्या तब धर्मको साक्षात्कारकर प्राप्तकर विदितकर, अवगाहनकर संशय-रहित, विवाद-रहित, बुद्धके धर्ममें विशारद (और) स्वतंत्र हो आयुष्मान् आज्ञात कौंडिन्यने भगवान्से यह कहा-“भन्ते ! भगवान्के पास मुझे प्र व ज्या' मिले, उ प स म्प दा मिले।" भगवान्ने कहा -"भिक्षु ! आओ, (यह) धर्म सुंदर प्रकारसे व्याख्यात है, अच्छी तरह दु:खके नाशके लिये ब्रह्मचर्य (का पालन) करो।" यही उन आयुष्मान्की उ प स म्प दा हुई। भगवान्ने उसके पीछे भिक्षुओंको फिर धर्म-संबंधी कथाओंका उपदेश किया। भगवान्के धार्मिक उपदेश करते=अनुशासन करते आयुष्मान् व प्प और आयुष्मान् भ हि य को भी-'जो कुछ उत्पन्न होनेवाला है, वह सव नाशमान है'—यह विरज=विमल धर्म-चक्षु उत्पन्न हुआ। तव धर्मको साक्षात्कार कर० उन्होंने भगवान्से कहा-“भन्ते ! भगवान्के पास हमें प्रव्रज्या मिले, उपसम्पदा मिले।" भगवान्ने कहा-“भिक्षुओ ! आओ धर्म सु-व्याख्यात है, अच्छी तरह दुःखके क्षयके लिये ब्रह्मचर्य (पालन) करो ।" यही उन आयुष्मानोंकी उपसम्पदा हुई। उसके पीछे भगवान् (भिक्षुओं द्वारा) लाये भोजनको ग्रहण करते, भिक्षुओंको धार्मिक कथाओं द्वारा उपदेश करते अनुशासन करते (रहे) । तीन भिक्षु जो भिक्षा माँगकर लाते थे, उसीसे छओ जने निर्वाह करते थे। भगवान्के धार्मिक कथाका उपदेश करते अनुशासन करते, आयुप्मान् म हा ना म और आयुष्मान् अश्व जित् को भी 'जो कुछ उत्पन्न होनेवाला है, वह सब नाशमान् है'-० । वही उन आयुष्मानोंकी उपसम्पदा हुई। तव भगवान्ने पंचवर्गीय भिक्षुओंको सम्बोधित किया- १ श्रामणेर होनेका संन्यास। भिक्षु होनेका संन्यास।