पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/६४

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विनय-पत्रिका राग धनाश्री [३८] जयति लक्ष्मणानंत भगवंत भूधर, भुजग- राज, भुवनेश, भूभारहारी। प्रलय-पावक-महाज्वालमाला-वमन, शमन-संताप लीलावतारी ॥१॥ जयति दाशरथि, समर-समरथ, सुमित्रा- सुवन, शत्रुसूदन, राम-भरत-बंधो । चारु-चंपक-वरन, वसन-भूपन-धरन, दिव्यतर, भव्य, लावण्य-सिंधो ॥२॥ जयति गाधेय-गौतम-जनक-सुख-जनक, विश्व-कंटक कुटिल-कोटि-हंता । वचन-चय-चातुरी-परशुधर-गरवहर, सर्वदा रामभद्रानुगंता ॥३॥ जयति सीतेश-सेवासरस, विषयरस- निरस, निरुपाधि धुरधर्मधारी। विपुलवलसूल शार्दूलविक्रम जलद- नाद-मर्दन महावीर भारी॥४॥ जयति संग्राम-सागर-भयकर तरन, __रामहित करण वरवाहु-सेतू । उर्मिला-रवन कल्याण-मंगल-भवन, दासतुलसी-दोष दवन-हेतू वि०प०५-