४४५ परिशिष्ट मेघनादने जव लक्ष्मणजीको शक्तिबाण मारा था तो वे मूछित हो गये । उनकी मूर्छाको दूर करनेके लिये हनूमान्जी ही धौलागिरिके साथ सञ्जीवनी-बूटी लाये थे और उस बूटीके द्वारा मू से उठनेपर दूसरे ही दिन लक्ष्मणजीने मेघनादको मारा था, इसी कारण श्रीहनुमानजी मेघनादके वधके कारण माने जाते हैं। __कालनेमि-हंता--- यह रावणके पक्षका महाधूर्त राक्षस था । जब हनूमान्जी लक्ष्मणजीकी मूर्छा हटानेके लिये सञ्जीवनी-बूटी लाने गये थे तो रास्ते इसने साधुका वेष धारण कर उनको छलना चाहा । हनुमानजीको उसकी माया मालूम हो गयी और तुरत ही उन्होंने उसको परलोक भेज दिया । इसीसे हनूमान्जी कालनेमि- हन्ता कहलाते हैं। २८-भीमार्जुन-च्यालसूदन-गर्वहर- महाभारतमें कथा आती है कि पाण्डवोंके वनवासकालमें एक दिन भीम अपने पराक्रमके मदमे मस्त हुए कहीं जा रहे थे। उनके मार्गमें एक बड़ा भारी बंदर सोया हुआ मिला । भीमके गर्जनसे उसकी आँखें खुल गयीं। भीमने उसे मार्गसे हट जानेके लिये कहा । बंदरने उत्तर दिया-भाई ! मैं बूदा हो गया हूँ, तुम्ही जरा मेरी पूँछको हटाकर चले जाओ ।' भीमके सारी शक्ति लगानेपर भी वह पूँछ टस-से-मस नहीं हुई। पीछे जब उन्हें यह मालूम हुआ कि यह कोई सामान्य बंदर नहीं है, बल्कि यह महापराक्रमशाली हनूमान्जी हैं तो उन्होंने नतशिर हो उन्हें प्रणाम किया । इस विषयकी एक दूसरी कथा और आती है कि एक बार
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