विनय-पत्रिका [ ५६ दनुजसूदन, दयासिंधु, दंभापहन, दहन दुर्दोष, दोपहर्ता । दुष्टतादमन, दमभवन दुःखौघहर, दुर्गदुर्वासनानाशक ॥१॥ भूरिभूपण,भानुमंत,भगवंत,भव-भंजनामयद,भुवनेशभारी। भावनातीत, भववंद्य भवभक्तहित,भूमिउद्धरण,भूधरण-धारी॥२॥ वरदावनदाभ, वागीश, विश्वातमा, विरज, वैकुण्ठ-मन्दिर-विहारी च्यापकव्योम, वंदास,वामन, विभो, ब्रह्मविद, ब्रह्मचिंतापहारी ३ सहज सुन्दर, सुमुख, सुमन, शुभ सर्वदा, शुद्ध सर्वज्ञ, खच्छन्दचारी। सर्वकृत, सर्वभृत, सर्वजित, सर्वहित सत्य-संकल्प, कल्पांतकारी ॥४॥ नित्य, निर्मोह, निर्गुण, निरंजन, निजानन्द, निर्वाण, निर्वाणदाता। निर्भरानंद, निकंप, निःसीम, निर्मुक्त, निरुपाधि, निर्मम, विधाता ॥५॥ महामंगलमूल, मोद-महिमायतन, मुग्ध-मधु-मथन, मानद, अमानी। मदनमर्दन,मदातीत,मायारहित, मंजु मानाथ, पाथोजपानी ॥६॥ कमललोचन, कलाकोश,कोदंडधरकोशलाधीश कल्याणरासी। यातुधानप्रचुरमत्तकरि-केशरीभकमन-पुण्य-आरण्यवासी॥७॥ अनघा अद्वत, अनवद्य, अव्यक, अज, अमित, अविकार, ___ आनंदसिंघो। अचल, अनिकेत, अविरल, अनामय, अनारंभ, अंभोदनादहन- बंधो ॥८॥
पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/१०४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।