पृष्ठ:विद्यापति ठाकुर की पद्यावली.djvu/३५०

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३३६ विद्यापति । wwwwwwvvvvvvvvvvvvvvvvvv vvvvvvvvvxy-12:11, 18 February 2019 (UTC)12:11, 18 February 2019 (UTC) राधा । ६५४ कुन्द कुसुम भरि सेज सोहान चान्द इजोरिय राति । तिला एक सुपहु समागम पाओल मास वरख भेल साति ॥२॥ हरि हरि पुनु कइसे पलटि मधुरपुर जाएव पुनु कइसे भेटत मुरारि । चिन्ता जाल पति हरिनी सनि कि करव विरहिनि नारी ॥४॥ एक भमर भमि बहुल कुसुम रमि कतहुन केओ कर वाध । बहुवल्लभ सञो सिनेह बढ़ाओल पड़ल हमर अपराध ॥६॥ दिवसे दिवसे वेधक अधिकाएल दारुण भेल पचवान । आओर वरख कत आसे गमाओव संसअ परल परान ॥८॥ भनइ विद्यापीत सनु वर जौवति मन चिन्ता करु त्याग । अचिर मिलत हरि रहु धैरज धरि सुदिने पलटत भाग ॥२०॥ राधा । ६५५ सखिहे कतहु न देखिअ मधाइ । कॉप शरीर थीर नहि मानस अवधि निअर भेल आइ ॥२॥ माधव मास तीथि भऊ माधव अवधि कइए पिया गेला । । कुच युग सम्भु परसि करे वोललह्नि ते परतिति मेाहि ।।