पाश्चात्य देशों में पूर्वी भाषाओं के जाननेवाले विद्वानों की कमी नहीं; परन्तु इस प्रकार के विद्वानों में बहुत ही थोड़े ऐसे निकलेंगे जिन्हें उस पूर्वी भाषा मे, जिसके वे धुरन्धर ज्ञाता कहलाते हैं, बोलने का भी वैसा ही अभ्यास हो जैसा उन्हें उसके लिखने-पढ़ने का है। पूर्वी भाषाओं के पाश्चात्य विद्वानों मे मैक्समूलर का नाम बहुत प्रसिद्ध है। वे बड़े भारी संस्कृतज्ञ थे। परन्तु, सुनते हैं, नीलकण्ठ शास्त्री गोरे ने उनसे संस्कृत मे भाषण किया तो वे उनकी बात ही न समझ सके। उन पाश्चात्य विद्वानों में, जो अपनी अभिमत पूर्वी भाषा लिख भी सकते हों और बोल भी सकते हो, अध्यापक पामर का आसन बहुत ऊँचा है। वे अँगरेज़ी, फ्रेञ्च, जर्मन, इटालियन, लैटिन, ग्रीक आदि योरप की कितनी ही भाषाओं के अतिरिक्त अरबी, फ़ारसी और उर्दू इन तीन पूर्वी भाषाओं को भी बहुत अच्छी तरह जानते थे। उनमें यह एक ख़ास गुण था कि वे जिन- जिन भाषाओं को जानते थे उनमें वे अपनी मातृभाषा ही की तरह बोल भी सकते थे।
एडवर्ड हेनरी पामर का जन्म सन् १८४० ईसवी की सातवी अगस्त को, केम्ब्रिज नगर में, हुआ। शैशवकाल ही में उनके माता और पिता दोनों उन्हें अनाथ करके चल बसे ।