स्पेन्सर को पहले पहल सैंडफ़र्ड ऐंड मर्टन (Sandford and Merton) नाम की किताब पढ़ाई गई। उसे स्पेन्सरने बड़े चाव से पढ़ा। कुछ दिन में उसे पढ़ने का इतना शौक बढ़ा कि दिन- दिन रात-रात भर उसके हाथ से किताब न छूटती थी। उसकी माँ न चाहती थी कि वह इतनी मिहनत करे, क्योकि वह बहुत कमज़ोर था। इससे रात को वह अक्सर स्पेन्सर के कमरे में सोने के पहले यह देखने जाया करती थी कि कही वह पढ़ तो नहीं रहा। उसे आती देख स्पेन्सर मोमबत्तीं को गुल करके चुपचाप लेट रहता था, जिसमे उसकी माँ समझे कि वह सो रहा है। पर उसके चले जाने पर वह फिर पढ़ना शुरू कर देता था।
कोई ११ वर्ष की उम्र में स्पेन्सर की कमज़ोरी जाती रही। वह सबल हो गया। वह पढ़ता भी था और धूमता- फिरता भी था। इससे उसके दिमाग़ पर अधिक बोझ नहीं पड़ा और इसी से उसके शरीर में बल भी आ गया। स्पेन्सर बड़ा निडर और साहसी था। एक दफ़े वह अपने चचा के घर से अकेला अपने घर पैदल चला आया। पहले दिन वह ४८ मील चला, दूसरे दिन ४७ मील! बिना सबूत के स्पेन्सर किसी की बात न मानता था। चाहे जो हो, जब तक वह उसकी बात की सचाई की सबूत की कसौटी पर न कस लेता था, या ख़ुद तजरिबे से उसकी सचाई को न जान लेता था, तब तक कभी उस पर विश्वास न करता था। यह विलक्षणता उसमे लड़कपन ही से थी। यह आदत उसकी मरने तक नहीं