सुनते हैं, डाक्टर जैकोबी संस्कृत के बड़े भारी पण्डित हैं। उनका जो चित्र दिसम्बर की "सरस्वती" में निकल चुका है उसके परिचयदाता ने जो नोट लिखा है उसमें डाक्टर साहब की विद्वत्ता का उल्लेख हो चुका है। "कालेजियन" नामक एक शिक्षाविषयक पाक्षिक पत्र के सम्पादक ने भी आपकी बड़ी प्रशंसा प्रकाशित की है। इस पाक्षिक पत्र के सम्पादक का कथन है कि संस्कृत में जितने शास्त्र हैं प्रायः सभी मे डाक्टर जैकोबी की अबाध गति है। संस्कृत का साधारण साहित्य, संस्कृत का छन्दःशास्त्र, संस्कृत का काव्यशास्त्र, संस्कृत का न्याय, वैशेषिक और वेदान्त-शास्त्र―सभी आपके करतल के आमलक हो रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र में भी आप निष्णात हैं। प्राकृत भाषायें भी आप जानते हैं; और इस देश की वर्तमान- कालिक भाषायें भी। जैन और बौद्ध-शास्त्रो के ज्ञान के तो आप महासागर ही हैं। आपने अनेक नई-नई बातें ढूँढ़ निकाली हैं। आपकी विद्वत्ता को देखकर देश-विदेश, सभी कही, के पण्डित आश्चर्य करते हैं। "कालेजियन" के सम्पा- दक का यही मत है।
जैन-साहित्य से तो डाक्टर साहब का बहुत ही अधिक परिचय है। उस दिन बनारस मे जैनों का जो महोत्सव हुआ उसमे डाक्टर साहब भी निमन्त्रित हुए थे। वहीं आपका बड़ा आदर-सत्कार हुआ। जैनों ने आपकी स्तुति और प्रशंसा से पूर्ण एक अभिनन्दनपत्र भी आपको दिया।