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विदेशी विद्वान्
उस समय यह आशा करना व्यर्थ न होगा कि भविष्यत् में हमारे यहाँ निरुपयोगी और निकम्मे ग्रेजुएटों ( Superficial Graduates) की संख्या घट जायगी और परोपकारी जाति- सेवकों की संख्या बढ़ जायगी। अन्त मे यही प्रार्थना है कि परमेश्वर हम लोगों को अज्ञान-शृङ्खला के बन्धन से मुक्त होने तथा बुकर टी० वाशिगटन के समान जातिसेवा करने की बुद्धि और शक्ति दे।
[ फ़रवरी १९१४
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