जिस वर्ष गैलीलियो की मृत्यु हुई उसी वर्ष, अर्थात् १६४२ ईसवी के दिसम्बर महीने की २५ तारीख़ को, इँग- लेंड में, न्यूटन का जन्म हुआ। न्यूटन का बाप न्यूटन के लड़कपन ही में मर गया था। इसलिए उसकी माँ ने उसके लिखने-पढ़ने का प्रबन्ध किया। १२ वर्ष की अवस्था में वह ग्रन्थम की पाठशाला में भरती हुआ। ६ वर्ष तक उसने वहाँ विद्याध्ययन किया। उसके अनन्तर वह केम्ब्रिज के ट्रिनिटी कालेज में पढ़ने लगा। न्यूटन ने २२ वर्ष की अवस्था में बी॰ ए॰ की और २५ वर्ष की अवस्था में एम॰ ए॰ की परीक्षा पास की। गणित और यन्त्र बनाने की विद्या से उसे बड़ा प्रेम था। पाठशाला में छुट्टी होने पर जब और लड़के खेल- कूद में लग जाते थे तब वह छोटे-छोटे यन्त्र बनाया करता था। उसने एक छोटी सी पवन-चक्की बनाई थी जो वायु के वेग से आप ही आप चलती थी। उसे देखकर वह मन ही मन बहुत प्रसन्न होता था। उसने लकड़ो की एक घड़ी भी बनाई थी। वह समय बतलाने का पूरा-पूरा काम दे सकती थी। जब वह केम्ब्रिज के विद्यालय में था तभी उसने यह बात सिद्ध करके दिखला दी थी कि प्रकाश की प्रत्येक किरण में सात प्रकार के रङ्ग रहते हैं। १६७२ ईसवी में न्यूटन को ट्रिनिटी कालेज में गणित के अध्यापक का पद मिला। कुछ काल तक वह पार्लियामेण्ट का सभासद भी रहा। उसकी मान-मर्यादा प्रतिदिन बढ़ती ही गई। यद्यपि उसका यश देश-
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न्यूटन