तरह मालूम हो जाती है कि जब मनुष्य अपने उद्धार के लिए
स्वयं यत्न करने लगता है तब परमेश्वर भी उसकी सहायता
करता है। आत्मोद्धार के लिए दृढ़ विश्वास और स्वावलम्बन
ही की आवश्यकता है। बुकर टी० वाशिंगटन का जीवनचरित
इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि दृढ़ निश्चय और प्रयत्न से
हबशी (नीग्रो) जाति का एक दास कितने ऊँचे पद पर पहुँच
सकता है और परोपकार के कितने बड़े बड़े काम कर सकता
है। आत्मावलम्बन की तात्त्विक शिक्षा देनेवाली सैकड़ों
पुस्तकों से जो लाभ न होगा वह ‘आत्मोद्धार’ की अद्भुत
मूर्ति, बुकर टी॰ वाशिगटन, के आत्मचरित से हो सकता है।
इस ग्रन्थ के विषय मे अधिक लिखने को आवश्यकता नहीं। हाँ, इस बात की सूचना कर देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं कि यदि इस पुस्तक का अनुवाद हिन्दी मे किया जाय तो उससे देश का बहुत हित हो। अब बुकर टी० वाशिगटन का जीवन- चरित सुनिए।
अफ्ऱिका के मूल निवासियों की नीग्रो (हवशी) नामक एक जाति है। सत्रहवीं सदी में इस जाति के लोगों को ग़ुलाम बनाकर अमेरिका मे बेचने का क्रम आरम्भ हुआ। यह क्रम लगभग दो सदियों तक जारी रहा। इतने समय तक दासत्व में रहने के कारण उन लोगों को कितनी अवनति हुई, उन्हें कितना भयङ्कर कष्ट उठाना पड़ा और उनकी स्थिति