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अध्यापक एडवर्ड हेनरी पामर

तब कहा एक शख्स ने तू इस कदर
हाल से हैगा जहाँ के वे खबर ।
ड्यू क ‌आव ऐडिनबरा है जिसका नाम
धाक से लरजे है जिसके रूम व शाम ।

× × × ×

सुन के यो बोला दोआ कर पामर नित रहे इस शमा से पुरनूर घर । १८७३ में फारिस के तत्कालीनशाह विलायत गये । उनकी इस यात्रा का सविस्तर हाल पामर ने उर्दू मे लिखा। वह अवध-अखबार में निकला। इस लेख के कुछ खण्डों को हम, पामर के उर्दू-गद्य के नमूनों के तौर पर, नीचे उद्धृत करते हैं-

शाह फारस की आमद

अब हर लमहा उम्मेदवारिये दीदारे फ़रहत आसारे शहर- यारे कामगार थी। कभी खबर उड़ती थी कि अब रेलगाड़ी शाही करीब पान पहुंची।

बस कि दर जाने फ़िगारम चश्मे वेदारम तुई
हर कि पैदा मी शवद अज दूर पिन्दारम तुई ।

बावजूद गरमी और इन्तिज़ारी के एक तरह की चहल और जिन्दादिली सभी के दिलों पर छा रही थी कि एकाएक शिल्लक सलामी किलै लन्दन से बमुजर्रद छूने नाफे लन्दन के दनादन दगने लगी। अब कोई दकी़का़ की बात वाकी़ न रही।