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विचित्र प्रबन्ध।

क्योंकि ये लोग क्षमताशाली हैं; विचार करने का काम प्रायः इन्हीं के हाथ में रहता है। ये विवेचक लोग गुरु का काम करते हैं। मेरी यही प्रार्थना है कि सरस्वती के काव्य कमल-वन में रहने वाले लोग अपने पास के बेत के वन मेँ रहनेवालों को दिक़ न किया करें।

साहित्य की यथार्थ व्यर्थ रचनाएँ कोई ख़ास बात कहने की स्पर्धा नहीं रखतीं। इसका उज्वल दृष्टान्त संस्कृत साहित्य का मेघदूत नामक ग्रन्थ है। इममें धर्म की बात, अथवा कर्म का निरूपण नहीं है। यह पुराण भी नहीं है और इतिहास भी नहीं है। जिस अवस्था में मनुष्यों का चेतन-अचेतन का ज्ञान नहीं रहता, मेघदूत उसी अवस्था वाले मनुष्य का प्रलापमात्र है। उनको यदि बेर का फल समझकर कोई पेट भरने के इरादे से उठावे तो वह अवश्य ही दूर फेंक देगा, क्योंकि इसमें लाभ की कोई बात नहीं है। यह केवल मुक्ताफल है, इसमें विरही के फटे हुए हृदय का रक्त लगा हुआ है। यदि इसका वह चिह्न धोकर साफ़ कर दिया जाय तो भी इसके मूल्य में कमी नहीं हो सकती।

इसका कोई उद्देश्य नहीं है, इसी कारण यह काव्य इतना स्वच्छ और उज्ज्वल है। यह एक माया की नौका है। इस नौका पर सजल मेघ का पाल तना हुआ है, कल्पना की हवा इसे उड़ाये लिये जा रही है; एक विरही-हृदय की कामना लेकर यह नौका बड़े वेग से किसी अनिश्चित स्थान की ओर जा रही है। इस नौका में और कोई बोझ नहीं है।

टेनिसन ने Idle Tears में जो अकारण आँसू बहाने की बात