पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२३२

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पञ्चभूत । २२१ कठिनता है, पर भाव की वह गम्भीरता नहीं। क्योंकि वह अभी बिलकुल नया है । अभी वह भाव उत्पन्न करने योग्य नहीं हुआ। अभी तक वहाँ की सभ्यता मनुष्य की प्रकृति के साथ मिल कर मनुष्य के हृदय में अपना अधिकार नहीं स्थापित कर सकी। योरप के कोने कोने वह पुरातन भाव अपना हरा अंकुर उत्पन्न कर रहा है तथा उसके द्वारा समस्त योरप को प्रकाशित करता है। अमेरिका में वह प्रकाश नहीं है, वह सुन्दरता नहीं है। बहु- स्मृति, लोकोक्ति, विश्वास और संस्कार आदि के द्वारा अभी तक वहाँ मनुष्य-जीवन प्रौढ़ नहीं हुआ है। परन्तु हमारे किसानों के मुँह पर अन्तःप्रकृति का वही रङ्ग जम गया है। मुझे बड़ी इच्छा होती है कि सरलता की वह पुरातन शामा सबका दिखलाऊँ। पर कठिनता यह है कि वह शोभा है बड़ो सुकुमार । यदि कोई कहे कि हमने उसे नहीं देखा या देखकर कोई उसका उपहास कर ता उसको दिखाना मेरी शक्ति से बाहर है। मैं इन समाचार-पत्रों के टुकड़ों को पढ़ता हूँ और मुझे बाइ- बिल की एक बात याद आती है। बाइबिल में लिखा है कि जो नम्र है वही इस समस्त पृथिवी का अधिकार पा सकता है। मैं यहाँ जी नम्रता देख रहा हूँ उसमें एक स्वर्गीय अधिकार है। इस संसार में सुन्दरता की अपेक्षा नम्र और कुछ नहीं है । वह बलप्रयोग के द्वारा कोई काम करना नहीं चाहती। एक ऐमा समय आवेगा जब इस पृथिवी पर उसीका अधिकार होगा ! आज इस प्राम- वासिनी सुन्दरी सरलता ने एक नगरवासी और नवीन सभ्यता के दत्तक पुत्र को अपनी और खींच लिया है। यह इस बात की पूर्व