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योरप की यात्रा।

ऊँचे और नीचे हैं। मार्ग मेँ चारों ओर से दुर्गन्ध आती है और कूड़े के ढेर लगे हैँ। रात को होटल मेँ जाकर हमने भोजन किया। होटल में मूल्य तो बहुत अधिक देना पड़ा, पर खाने की चीजें बड़ी ही ख़राब मिलीं। भोजन के बाद हम लोग जहाज़ की ओर चले। रास्ते में एक जगह बैण्ड बज रहा था। वहीं खड़े होकर हम लोग बैण्ड सुनने लगे। रात को दस बजने के बाद हम लोग जहाज़ पर आये। लौटने के समय नाववाला हम लोगों से उचित किराये से कुछ अधिक किराया लेना चाहता था। मेरे साथी साहब यह देखकर उस पर बड़े क्रोधित हुए। इस पर लन्दन की एक ऐसी ही बात मुझ का स्मरण हो आई। हम लोग जिस दिन पहले पहल लन्दन में उपस्थित हुए उसी दिन मेरे भैया और मैं दोनों किराये की गाड़ी पर बाहर घूमने निकले। गाड़ीवाले ने पाँच शिलिंग की जगह हम लोगों से बारह शिलिंग ठग कर ले लिये।

१९ अक्तूबर। आज प्रातःकाल जहाज़ जिस समय ब्रिंडिसी पहुँचा उस समय थोड़ा थोड़ा पानी बरसता था। इसी पानी बरसने के समय गानेवालों का एक दल हार्ष-सारंगी-मैण्डलीन आदि लेकर जहाज़ के सामने 'बन्दर' की राह पर खड़ा हो कर गाने-बजाने लगा।

पानी बन्द होने पर अपने साथी को लेकर मैं ब्रिंडिसी देखने के लिए गया। नगर के बाहर एक मैदान मेँ हम लोग जाकर पहुँचे। अभी तक आकाश में बादल घिरे हुए हैं। परन्तु पहाड़ पर चढ़ने का मार्ग सूख गया है। रास्ते के दोनों ओर नाले में थोड़ा थोड़ा जल बह रहा है। रास्ते के पास ही नंगे पैर दो इटालियन लड़के पेड़

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