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विचित्र प्रबन्ध

मा भैः (मत डरो)

मृत्यु एक बहुत बड़ी काली काली कठिन कसौटी है। इसी कसौटी पर संसार के खर सोने की परख होती है।

आप देश को सचमुच प्यार करने हैं तो उसकी परीक्षा यह है कि आप देश के लिए मर सकते हैं कि नहीं? यदि आप अपने को प्यार करते हैं तो उसकी भी चरम परीक्षा यही है कि आप अपनी उन्नति के लिए अपने प्राणों को दे सकते हैँ कि नहीं।

यदि हर एक के लिए ऐगा एक विश्वव्यापी भय संसार के सिर पर न बना रहता तो सच और झूठ को, छोटे बड़े और मैंझोले को विशुद्ध भाव से तुलना कर के देखने का कोई उपाय ही न रहता।

इस मृत्यु की तुला में संसार की जो जातियाँ तौली जा चुकी हैं उन्हें 'पास' होने का प्रमाणपत्र मिल गया है। उन्होंने अपने को प्रमाणित कर दिया है, अपने और दूसरे के आगे उनके कुण्ठित होने का कोई कारण नहीं है। मृत्यु के द्वारा ही उनके जीवन की परीक्षा हो गई है। धन की यथार्थ परीक्षा दान के द्वारा होती है, और जिनके प्राण हैं उनकी परीक्षा प्रागा देने की शक्ति से होती है। जिसके पास प्राण नहीं हैं वही मरने में कृपणता करता है।

जो मरना जानता है, सुख पर उसीका सच्चा अधिकार है। जो विजय प्राप्त करता है उसीको भोग करना सोहता है। जो अपने जीवन के साथ सुख और विलास को दोनों हाथों से दृढ़ता-पूर्वक पकड़े रहता है, सुख उस अपने घृणित दास के आगे ही अपना