पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/९५

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परिशिष्ट ।

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"बंबई गैजेटियर" तथा पुरातत्त्व के पारदर्शी पण्डितों की पुस्तकों से मालूम होता है कि चालुक्य- वंशीय राजाओं का किसी समय दक्षिण में बड़ा प्रभुत्व था। इस वंश की दो शाखायें हुई हैं-पूर्व- कालीन और उत्तरकालीन।

पूर्वकालीन राजाओं को राजधानी वातापिपुर थी। इस जगह का वर्तमान नाम बादामी है। यह नगर बीजापुर जिले में है। इस शाखा का पहला राजा जयसिंह ईसवी सन के छठे शतक के प्रारम्भ में हुआ। सब मिला कर ११ राजे इस शाखा के हुए। अन्तिम राजा दूसरा कीर्तिवर्मा हुआ। ७४७ ईसवी के लगभग इस शाखा की समाप्ति हुई। इस शाखा का सब से अधिक राजा दूसरा पुलकेशी हुआ। इसने कन्नौज के प्रसिद्ध राजा हर्षवर्धन (शिलादित्य) को परास्त किया। पुलकेशी सार्वभौम राजा था। वह ९० हजार गाँव का प्रधीश्वर था। इसी के राजत्व-काल में चीन का प्रवासी ह्वान्थसांग भारत में आया था। इस प्रवासी ने अपने प्रवास