यह पृष्ठ प्रमाणित है।
मारी नैषध चरित-चर्चा को प्रकाशित हुए ६ वर्ष हुए। उसके अन्त में हमने यह कहा था कि यदि वह निबन्ध उपयोगी समझा गया तो वैसे ही और निबन्ध भी लिखने का हम यत्न करेंगे। हमारे लिए यह उत्साह की बात है कि उसे अनेक सुयोग्य सज्जनों ने पसन्द करके और भी वैसे ही निबन्ध लिखने के लिए हमसे अनुरोध किया। अतएव उनकी इच्छा पूर्ण करने के लिए हमें यह लेख लिखे तीन वर्ष हुए। हमारी इच्छा थी कि हम इसे क्रम क्रम से सरस्वती में प्रकाशित करें; परन्तु उसमें स्थान मिलने की आशा न देख इसे अब हम अलग ही प्रकाशित करते है।
संस्कृत-ग्रन्थों की समालोचना हिन्दी में होने से यह लाभ है कि समालोचित ग्रन्थों का सारांश और उनके गुण-दोष पढ़नेवालों को विदित हो जाते