चरित; अपने छोटे भाई जयसिंह के साथ विक्रमाङ्क का कल्याण-त्याग। सोमदेव की सेना का विक्रमाङ्क द्वारा पराजय।
५-विक्रमांक का द्रविड़, केरल, चोल आदि देशों को जाना; उनसे कर लेना; द्रविड़-नरेश की कन्या के साथ तुङ्गभद्रा के तट पर उसका विवाह।
६-चोल नरेश की मृत्यु ; वेङ्गि के राजा राजिग की चोल देश पर चढ़ाई; युद्ध में चोलनरेश के पुत्र की मृत्यु; सोमदेव और वेङ्गि-महीप की विक्रमाङ्क के प्रतिकूल सलाह; विक्रम का उन दोनों के साथ युद्ध; विक्रमाङ्क की जीत; सोमदेव का पकड़ा जाना; जयसिंह को वनवास-प्रदेश की प्राप्ति; विक्रम का कल्याण-गमन।
७-वसन्त-वर्णन; दोला-वर्णन इत्यादि।
८-करहाट-नरेश की कन्या चन्द्रलेखा की रूप-वर्णन।
९-चन्द्रलेखा की चिन्तना में विक्रम की वियोग-व्यथा; करहाट-नरेश के पास दूत भेजना;
स्वयंवर में जाना; स्वयंवरा कन्या का वर्णन; आये हुए राजाओं की चेष्टा; प्रतीहारी द्वारा