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किये जाने पर उसे युद्ध के लिए सज्जित होना ही पड़ा। भाई की सेना को उसने क्षण भर में नष्ट कर दिया। सोमेश्वर ने कई बार विक्रम के मारने के लिए सेना भेजी, परन्तु विक्रम ने प्रतिवार उसे काट डाला। जब सोमेश्वर की कुछ न चली और उसकी असंख्य सेना मारी गई तब वह चुप हो बैठा।

इस प्रकार कई बार सोमेश्वर की सेना को परास्त करके विक्रम तुङ्गभद्रा की ओर चला और उसके किनारे पहुँच कर वहीं अपनी सेना उसने निवेशित की। वहाँ से उसने चोल देश पर चढ़ाई करना चाहा; परन्तु कुछ काल वनवास[] प्रान्त में व्यतीत किया।

जब उसने युद्धयात्रा के लिए प्रस्थान किया तब उसकी सेना के तूर्यनाद ने मलयदेश के राजाओं को उसकी पहली वीरता के कार्यों का


  1. वनवास उस प्रान्त का नाम है जो घाट पर्वतों के पास तुङ्गभद्रा और वरदा नदियों के बीच में है। जान पड़ता है, उस समय, वनवास चालुक्यों ही के राज्य के अन्तर्गत था। एशियाटिक सोसाइटी के जरनल के चतुर्थ भाग से विदित होता है कि, चालुक्यों की अधीनता में कादम्ब-वंश के राजा वनवास प्रान्त में राज्य करते थे।